ऐसे अब चुप न रहो कुछ तुम कहो, कुछ तुम कहो। ऐसे अब चुप न रहो कुछ तुम कहो, कुछ तुम कहो।
मत सुनो उनकी जो यथार्थवादी होने का ढोंग करते हैं। मत सुनो उनकी जो यथार्थवादी होने का ढोंग करते हैं।
एक बालक की जिज्ञासा है जिसमें वह अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने अबोध मन को समझाने की कोशिश करता है... एक बालक की जिज्ञासा है जिसमें वह अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने अबोध मन को समझ...
लकीरों में नहीं कर्म से, सींच अपने भाग्य का मंजर I लकीरों में नहीं कर्म से, सींच अपने भाग्य का मंजर I
बात अगर विश्वास की मजबूती की है,तो पाखंड क्यूँ? बात अगर विश्वास की मजबूती की है,तो पाखंड क्यूँ?
हर सुबह एक नई रोशनी लेकर आती है। हर कोना हमें अपनी मंजिल की ओर ले जाती है। हर सुबह एक नई रोशनी लेकर आती है। हर कोना हमें अपनी मंजिल की ओर ले जाती है।